NEW DELHI (NAMAMI DIGITAL NEWS )
Heart attack and cardiac arrest in bathroom: आपने बाथरूम में हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट आने के बहुत से मामले सुने होंगे। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह वह जगह है, जहां 8 से 11 प्रतिशत तक हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट आने का खतरा होता है। चूंकि बाथरूम निजी स्थान हैं, इसलिए इसका देर से पता चलता है और परिणाम खराब होते हैं।
आपने बाथरूम में हार्ट अटैक (Heart attack) या कार्डियक अरेस्ट (Cardiac arrest) आने के बहुत से मामले सुने होंगे। उदहारण के लिए बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री श्रीदेवी का मामला ही ले लीजिए। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी बाथरूम में कार्डियक अरेस्ट की वजह से मौत हो गई थी। बाथरूम में हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट क्यों आता है? यह एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता है।
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि क्या इसमें कोई सच्चाई है और यदि हां, तो ऐसा क्यों होता है? लेकिन सवाल का जवाब जानने से पहले आपको यह समझने की जरूरत है कि
कार्डियक अरेस्ट क्या होता है? यह एक ऐसी स्थिति है जहां दिल धड़कना बंद कर देता है, और जब ऐसा होता है, तो आवश्यक अंगों को ऑक्सीजन वाला रक्त नहीं मिलता है, जिससे मौत का खतरा होता है।
हार्ट अटैक क्यों आता है? दिल का दौरा या हार्ट अटैक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हृदय के उस हिस्से को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिका में अचानक थक्का बनने के कारण हृदय के एक हिस्से को ऑक्सीजन वाला रक्त मिलना बंद हो जाता है। दोनों वजह से किसी इंसान की मौत हो सकती है।
बाथरूम में हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट का 11% खतरा
एक ऑनलाइन मीडिया को दिए इंटरव्यू में दिल्ली स्थित फोर्टिस अस्पताल में कार्डियोलॉजी और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि अधिकांश लोग प्रतिदिन औसतन 30 मिनट या 2 प्रतिशत समय शौचालय में बिताते हैं। यह वह जगह है, जहां 8 से 11 प्रतिशत तक हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट आने का खतरा होता है। चूंकि बाथरूम निजी स्थान हैं, इसलिए इसका देर से पता चलता है और परिणाम खराब होते हैं।
बाथरूम में क्यों आता है अटैक
डॉक्टर के अनुसार, सिम्पेथेटिक और पैरासिम्पेथेटिक औटोनोमिक नर्वस सिस्टम के बीच असंतुलन के कारण तनाव के दौरान रक्तचाप में कमी होती है। इससे दिमाग में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और चेतना का नुकसान होता है। इससे शौचालय में अचानक हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।
अटैक से बचना है तो इन बातों का रखें ध्यान
- शौच या पेशाब करते समय ज्यादा जोर नहीं लगाना चाहिए। राहत महसूस करते हुए अपना समय लें।
- ज्यादा गर्म या ज्यादा ठंडा पानी पीने से बचें। सीधे सिर पर पानी डालना शुरू न करें। पैर या कंधा धोना शुरू करें और धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ें।
- बाथरूम में ठंडे वातावरण के संपर्क में आने से बचें, खासकर सर्दियों में, क्योंकि इससे दिल का दौरा पड़ सकता है।
- यदि आपको पहले दिल का दौरा पड़ चुका है, बुढ़ापा है, हृदय पंप करने की शक्ति कमजोर है, तो शौचालय का उपयोग करते समय दरवाजे को बंद न करें।
- कमजोर लोगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले शौचालयों/स्नानघरों में अलार्म होना चाहिए, ताकि समय पर मदद मिल सके।
बाथरूम में अटैक आने के अन्य कारण
डॉक्टर का कहना है कि बीमार होने, मतली/उल्टी के लिए बाथरूम जाना और वहां गिरने के कारण ऐसा हो सकता है। इसका एक बड़ा कारण नहाना हो सकता है क्योंकि ज्यादा गर्म या ठंडे पानी से नहाने से हृदय गति, रक्तचाप और रक्त प्रवाह प्रभावित हो सकता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।