Namami Digital News (Desk)
Pitru Paksha Remedy: वैदिक ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति की जन्मकुंडली में शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के योग होते हैं। जिसका फल उसको जिंदगी भर भुगतना पड़ता है। उसी में से एक दोष होता है पितृ दोष। जिसके कारण व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिल पाता। साथ ही उसको जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। आपको बता दें कि पितृ दोष की शांति के लिए शास्त्रों में पितृ पक्ष के 15 दिनों का उल्लेख मिलता है। जिसमें अगर कुछ उपाय किए जाएं तो पितृदोष से मुक्ति मिल सकती है। इस साल पितृ दोष 10 अक्टूबर से शुरू हो रहा है और 25 सितंबर तक चलेगा। आइए जानते हैं उपायों के बारे में…
कुंडली में ऐसे बनता है पितृ दोष
*अगर जन्मकुंडली में राहु ग्रह अगर केंद्र स्थानों या त्रिकोण में हो और उनकी राशि नीच यानि की नकारात्मक स्थित हों तो पितृ दोष का निर्माण बनता है।
*अगर राहु का सम्बन्ध जन्म कुंडली में सूर्य और चंद्र ग्रह से हो, तो ऐसी कुंडली में पितृ दोष का बनता है।
वहीं अगर जन्मकुंडली में राहु का सम्बन्ध शनि या बृहस्पति से हो, तो भी कुंडली में पितृ दोष बनता है।
*ज्योतिष अनुसार राहु अगर द्वितीय या अष्टम भाव में हो तो भी ऐसी कुंडली में पितृ दोष का निर्माण होता है।
*कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में सूर्य और राहु की युति या फिर सूर्य और शनि की युति से पितृ दोष लगता है।
जानिए पितृदोष बनने के कारण
*पितरों का विधिवत अंतिम संस्कार और श्राद्ध न होना। जिस वजह से पितृ नाराज हो जाते हैं और पितृ फिर आशीर्वाद की जगह श्राप दे देते हैं। जिससे संतान उत्पत्ति में बाधा, विवाह न होना।
*पितरों की विस्मृति या अपमान करना।
*धर्म के विरुद्ध आचरण करना।
*पीपल, नीम और बरगद के पेड़ को कटवाना।
*किसी नाग या गाय को मारना या मरवाना।
पितृ पक्ष के दौरान करें ये कार्य
1- शास्त्रों के दौरान जिस तिथि में आपके पूर्वजों का देहान्त हुआ उस तिथि को आप अपने पूर्वजों के नाम से श्राद्ध और तर्पण कर सकते हैं। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान- दक्षिणा भी दें।
2- पितृ पक्ष के दौरान घर में श्रीमद्भागवत के गजेंद्र मोक्ष अध्याय और पितृ सूक्तम का पाठ करें या योग्य ब्राह्राणों से कराएं।
3-कुंडली में पितृ दोष बन रहा हो, तब जातक को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर और उसपर हार चढ़ाकर पितृ पक्ष में रोज़ाना उनकी पूजा स्तुति करनी चाहिए। उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है
4- हर साल पड़ने वाली पितृ अमावस्या पर या जिस तिथि पर पूर्वज की मृत्यु हुई है उस तिथि पर पितृ दोष शांति, पिंड दान और तर्पण योग्य ब्राह्राणों द्वारा कराना चाहिए।
5- पितृ पक्ष के 15 दिनों तक गाय, कौआ और श्वान (कुत्ते) को अन्न जरूर खिलाना चाहिए। मान्यता है इन तीनों जीवों को खिलाने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं।