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Delhi MCD Election 2022:दिल्ली में होगा अब एक मेयर ,दिल्ली में क्या होगा तीनों नगर निगमों का भविष्य? मोदी सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला

नई दिल्ली (कविता उपाध्याय )

MCD Election 2022: दिल्ली नगर निगम (MCD) के चुनावों को लेकर चल रहे विवाद के बीच मोदी सरकार (Narendra Modi) ने बड़ा फैसला लिया है. मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की बैठक में तीनों नगर निगमों के विलय का फैसला लिया गया.

दिल्ली के तीनों MCD को एक करने के लिए बिल पर केंद्रीय कैबिनेट ने मुहर लगा दी है।

अगले सप्ताह संसद में पेश हो सकता है बिल

सरकारी सूत्रों के अनुसार, ‘दिल्ली नगर निगम (संशोधन) अधिनियम, 2022’ के लिए विधेयक आने वाले सप्ताह के दौरान संसद में पेश होने की संभावना है और मौजूदा तीन निकायों को मिलाकर एमसीडी को एकजुट कर देगा.

अब यह बिल संसद में लाया जा सकता है। संसद में बिल पास होने पर दिल्ली में तीन की जगह सिर्फ एक मेयर होगा।इसके साथ-साथ तीनों निगम के बदले सिर्फ एक निगम ही होगा।

साल 2011 में दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम, 1911 के माध्यम से पूर्ववर्ती एमसीडी को तीन नगर निकायों- दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC), उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (EDMC) में विभाजित किया गया था.

हालांकि, निगम का यह विभाजन प्रादेशिक विभाजनों और प्रत्येक निगम की राजस्व सृजन क्षमता के संदर्भ में असमान था. नतीजतन, तीन निगमों के लिए उपलब्ध संसाधनों में उनके दायित्वों की तुलना में बहुत बड़ा अंतर था.

कम हो सकती है CM की पावर

ऐसी खबरें हैं कि दिल्ली सरकार का दखल निगम में बेहद कम करने के लिए मेयर-इन-काउंसिंल की व्यवस्था को अपनाई जा सकती है। इसमें मेयर और पार्षदों को लोग सीधे चुनेंगे। यदि ऐसा होता है कि मेयर सीएम से ज्यादा प्रभाव वाला माना जाएगा। इसके साथ ही मेयर और पार्षदों का कार्यकाल बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है।

18 मई से पहले होने हैं MCD चुनाव

बताते चलें कि तीनों नगर निगमों (MCD) के 18 मई से पहले चुनाव होने हैं. इसे लेकर कुछ दिनों पहले दिल्ली के चुनाव अधिकारी की प्रेस वार्ता होने वाली थी लेकिन ऐन मौके पर उन्होंने इसे टाल दिया था. चुनाव अधिकारी ने बाद में स्पष्टीकरण दिया था कि केंद्र सरकार तीनों निगमों के विलय पर विचार कर रही है. इसलिए उसने फिलहाल चुनाव प्रक्रिया टालने का आग्रह किया है, जिसे देखते हुए इलेक्शन का ऐलान टाल दिया गया है. 

दिल्ली में 18 मई से पहले नगर निगम का चुनाव पूरा होना है। इसके अलावा चुनाव तैयारियों के लिए भी राज्य चुनाव आयोग को वक्त चाहिए होगा। ऐसे में अब केंद्र जल्द ही इस प्रस्ताव को संसद के जरिए मंजूरी दिलावाना चाहेगा। ताकि जल्द से जल्द चुनाव की तारीखों का ऐलान हो पाए।

2012 से पहले एक ही नगर निगम था
बता दें कि लगभग 9 साल पहले तक दिल्ली में एक ही नगर निगम था, लेकिन 2012 के निगम चुनाव से पहले दिल्ली नगर निगम को तीन भागों में विभाजित कर दिया गया। उस वक्त तर्क दिया गया था कि ऐसा करने से नगर निगम के कामकाज में सुधार लाया जा सकेगा और ये प्रभावी तरीके से जनता को सेवाएं दे सकेंगी। लेकिन नगर निगम को विभाजित करने के बाद से ही नगर निगमों के कामकाज में कोई खास सुधार तो नहीं हुआ, उलटे निगम वित्तीय संकट में इस कदर फंस गए कि कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो गया। जिसकी वजह से निगम कर्मचारियों को कई बार हड़ताल पर जाना पड़ा।

बंटवारे से बढ़ गई समस्या
2011 से 2012 के बीच नए स्‍थानीय निकाय बनाने पर मंथन चला। उस वक्‍त दिल्‍ली में शीला दीक्षित की सरकार थी और केंद्र में भी कांग्रेस नीत यूपीए सत्‍ता में थी। MCD का बंटवारा दिसंबर 2011 में विधानसभा से पारित दिल्‍ली नगर निगम (संशोधन) अधिनियम के तहत किया गया। तीन भागों में बांटने के तीन-चार बाद परेशानियां शुरू हुईं। राजस्‍व का बंटवारा ठीक से नहीं होने की वजह से नॉर्थ और ईस्‍ट MCD वित्‍तीय संकट में फंस गए। पिछले छह सालों में इन दोनों निगमों में कई बार हड़ताल हुई। कोविड महामारी में SDMC की हालत भी खराब होती चली गई। वहां भी सैलरी में देरी हुई। पिछले दो साल में, नॉर्थ और ईस्‍ट MCD में सैलरी चार से छह महीने की देरी से जा रही है।

 

चुनाव की घोषणा टालने से मिला था संकेत
तीन नगर निकायों की वित्तीय कठिनाइयों में वृद्धि हुई, जिससे वे अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन और सेवानिवृत्ति लाभों का भुगतान करने में असमर्थ हो गए और इस तरह दिल्ली में नागरिक सेवाओं को बनाए रखने में गंभीर बाधाएं पैदा हुईं. इससे पहले, सरकार ने इन तीनों निकायों का विलय करने का संकेत देते हुए नगर निकायों के चुनावों की घोषणा को टाल दिया था.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एमसीडी चुनावों के स्थगित होने को देश के लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए कहा कि यह पहली बार था, जब केंद्र ने राज्य चुनाव आयोग को चुनाव स्थगित करने के लिए लिखा था

उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि वे इतने वर्षों में क्या कर रहे थे, यदि वे इन नगर निकायों को एक में विलय करना चाहते थे. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने एमसीडी चुनावों के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से कुछ घंटे पहले चुनाव आयोग को पत्र लिखा था.

चुनाव की घोषणा टालने से राजनीति शुरू हुई
चुनाव अधिकारी की इस घोषणा पर आम आदमी पार्टी ने कड़ी आपत्ति जताई थी. AAP ने कहा था कि चुनाव अधिकारी को केंद्र सरकार के आगे नहीं झुकना चाहिए. उसे नियमों के मुताबिक तय समय पर एमसीडी चुनावों की घोषणा करनी चाहिए थे. वहीं बीजेपी ने केंद्र सरकार के निर्देशों का स्वागत किया था. 

इस आरोप पर बीजेपी दिल्ली की तरफ से कहा गया कि 4 विधानसभा चुनावों में जमानत जब्त कराने वाली पार्टी ओवर कान्फिडेंस में है।

By Namami Digital News

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