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Kavita Upadhyay
हिन्दू पंचांग में अतिरिक्त महीना “मलमास” कहलाता है, जिसे कई नाम जैसे- पुरुषोत्तम मास, अधिकमास, अहंस्पति, मलिम्लुच और संसर्प आदि से जाना जाता है।
भगवान विष्णु को समर्पित होने के कारण मलमास पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। खरमास की तरह ही मलमास होता है और इस दौरान कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है। मलमास के समय सगाई, शादी, तिलक, नामकरण, मुंडन और गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं।
साल 2025 में अधिकमास यानी मलमास दो बार लगेगा। अगर आपको भी कोई मांगलिक कार्यक्रम करना है तो जान लीजिए कि मलमास की शुरुआत कब से होगी और ये महीना कब समाप्त हो जाएगा?
दिसंबर 2024 में कब से शुरू है मलमास?
मलमास को खरमास के नाम से भी जाना जाता है और इस दौरान विवाह आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। सूर्य द्वारा बृहस्पति की राशि धनु राशि या मीन राशि में प्रवेश करने पर मलमास या खरमास लगता है। 15 दिसंबर 2024 से मलमास की शुरुआत है।
कब समाप्त होगा मलमास
मलमास की शुरुआत भले ही साल 2024 के आखिरी महीने 15 दिसंबर को हो रही है, लेकिन इस मास की समाप्ति 14 जनवरी 2025 में होगी। सूर्य द्वारा धनु राशि से निकलकर जब दूसरी राशि में प्रवेश किया जाएगा तो मलमास समाप्त हो जाएगा।
2025 में दो बार लगेगा मलमास
2025 में पहले लगने वाला मलमास 14 जनवरी तक रहेगा। जबकि, दूसरा मलमास तब लगेगा जब सूर्य द्वारा मीन राशि में प्रवेश किया जाएगा। वैदिक शास्त्र के अनुसार 14 मार्च 2025 को मीन राशि में सूर्य प्रवेश करेंगे, इसके साथ ही मलमास की शुरुआत हो जाएगी।
2025 में लगने वाला मलमास कब होगा समाप्त?
मलमास का आरंभ 14 मार्च 2025 को होगा जिसकी समाप्ति 13 अप्रैल 2024 को होगी। ग्रहों के राजा सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर लेंगे और इसके साथ ही मलमास समाप्त हो जाएगा।
मलमास के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?
नया घर खरीदना या गृह प्रवेश करना मना है।
नए व्यापार की शुरुआत न करें।
शादी, मुंडन, जनेऊ, सगाई आदि कार्य न करें।
16 संस्कारों वाले कार्य करने की मनाही है।
मलमास के दौरान क्या करना चाहिए?
प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करें।
पक्षि और पशुओं की सेवा करें।
भगवान विष्णु और तुलसी पूजा करें।
जप, तप और दान का भी खास महत्व है।
गंगा या अन्य पवित्र नदी में स्नान करना जरूरी।