New Delhi(Namami Digital News Desk)
ओडिशा ट्रेन हादसे (Odisha Train Accident) को अब तक के सबसे बड़े हादसों में गिना जा रहा है। रेलवे प्रवक्ता अमिताभ शर्मा के मुताबिक, इस रूट पर ‘कवच’ उपलब्ध नहीं था।
दरअसल, भारतीय रेलवे ने चलती हुई ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कवच नामक एक स्वचलित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली विकसित की है। यह प्रणाली ट्रेन ड्राइवरों की एक विश्वसनीय साथी है। यदि ड्राइवर कहीं स्पीड कंट्रोल करना या ब्रेक लगाना भूल जाता है तो कवच (Kavach ) प्रणाली ब्रेक इंटरफेस यूनिट द्वारा ट्रेन को कंट्रोल कर लेती है।
कहा जा रहा है कि यदि ओडिशा में इस रूट पर भी कवच प्रणाली होती तो इस त्रासदी को रोका जा सकता था। यहां जानिए कवच के बारे में
What is Kavach system: All You Need to Know
केपी सारस्वत, उप मुख्य संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर/टेली मुख्यालय के मुताबिक, कवच प्रणाली रेल यात्रियों की सुरक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होगी। यह प्रणाली ड्राइवर के केबिन में लाइन-साइड सिग्नल के आस्पेक्ट को दोहराती है, जिससे घने कोहरे, बरसात जैसे कठोर मौसम के दौरान भी ट्रेन संचालन की सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित होगी। यदि लोको पायलट ब्रेक लगाने में विफल रहता है तो भी यह प्रणाली स्वचलित रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन की गति को नियंत्रित करने में मदद करती है।
उन्होंने बताया कि यह प्रणाली संचालन प्राधिकरण (मूविंग ओथोरिटी) के निरंतर अद्यतन के सिद्धांत पर काम करती है और लोको को सीधे टकराव से बचने में, लोको में स्थित संचार माध्यम द्वारा सक्षम बनाती है।
यह पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक है और ट्रेनों के संचालन की हर पल निगरानी करती है। यह प्रणाली सिग्नल एवं स्पीड से संबंधित दुर्घटनाओं को रोकने में पूर्णत: सक्षम है। ट्रेनों का संचालन मुख्यत: स्टेशन मास्टर और ट्रेन ड्राइवरों द्वारा किया जाता है। अत: ट्रेनों की सुरक्षा की सर्वाधिक जिम्मेदारी स्टेशन मास्टर और ट्रेन ड्राइवरों पर है। स्टेशन मास्टर से ट्रेनों के परिचालन में कोई गलती न हो, यह सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग द्वारा सिस्टम की इंटरलाकिंग द्वारा सुनिश्चित किया जाता है, लेकिन ट्रेन ड्राइवरों के पास अब तक कोई ऐसी विश्वसनीय मदद नहीं थी।
आपात स्थिति में रुक जाता है ट्रेनों का संचालन
कवच प्रणाली द्वारा प्रदान की जाने वाली अन्य विशेषताओं में समपार (एलसी) फाटकों पर आटो सीटी बजाना और विषमता की स्थिति में या जोखिम के मामले में अन्य ट्रेनों को नियंत्रित एवं सावधान करने के लिए आटो-मेनुअल एसओएस प्रणाली को तुरंत सक्रिय करना शामिल है, जिससे कि आसपास के क्षेत्र में सभी ट्रेनों का संचालन तुरंत रुक जाता है।
2,164 किमी के लिए मिली है स्वीकृति
साल 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 2,164 किमी के लिए कवच प्रणाली को रेलवे बोर्ड द्वारा स्वीकृत किया जा चुका है और सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग द्वारा पहले चरण में नागपुर से झारसुगुड़ा (615 किमी) खंड में सर्वे का कार्य आरंभ किया जा चुका है।
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